नवग्रह शान्ति के लिए जाप्य मंत्र :- सूर्य के लिए : ॐ णमो सिद्धाणं | (10 हजार) चन्द्र के लिए : ॐ णमो अरिहंताण | (10 हजार) मंगल के लिए : ॐ णमो सिद्धाणं | (10 हजार) बुध के लिए : ॐ णमो उवज्झायाण | (10 हजार) (गुरु) वृहस्पति : ॐ णमो आइरियाणं | (10 हजार) शुक्र के लिए : ॐ णमो अरिहंताणं | (10 हजार) शनि के लिए : ॐ णमो लोए सव्व साहूणं | (10 हजार) केतु के लिए : ॐ णमो सिद्धाणं | (10 हजार) राहू के लिए : ॐ णमो अरिहंताणं, ॐ णमो सिद्धाणं, ॐ णमो आइरियाणं, ॐ णमो उवज्झायाण ॐ णमो लोए सव्व साहूणं, (10 हजार)
पापभक्षिणी विद्यारुप मंत्र :- ॐ अर्हन्मुख-कमलवासिनीपापात्म-क्षयंकरि, श्रुतज्ञान- ज्वाला-सहस्र प्रज्ज्वलिते-सरस्वति मम पापं हन हन, दह दह, क्षां क्षीं क्षूं क्षौं क्षः क्षीरवर-धवले अमृत-संभवे वं वं हूं हूं स्वाहा | (इस मंत्र के जप के प्रभाव से साधक का चित्त प्रसन्नता धारण करता पाप नष्ट हो जाते हैं, और आत्मा में पवित्र भावनाओं का संचार होता हैं | )
महामृत्युंजय मन्त्र :- ॐ ह्रां णमो अरिहंताणं | ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं, ॐ ह्रूं णमो आइरियाणं, ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रः णमो लोए सव्वसाहूणं, मम सर्व - ग्रहारिष्टान् निवारय निवारय अपमृत्युं घातय घातय सर्वशान्तिं कुरु कुरु स्वाहा | (विधि दीप जलाकर धूप देते हुए नैष्ठिक रहकर इस मंत्र का स्वयं जाप करें या अन्य द्वारा करावें | यदि अन्य व्यक्ति जाप करे तो 'मम' के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम जोड़ लें जिसके लिए जाप करना है | ) इस मंत्र का सवा लाख जाप करने से ग्रह-बाधा दूर हो जाती है | कम से कम इस मंत्र का 31 हजार जाप करना चाहिये | जाप के अनन्तर दशांश आहुति देकर हवन भी करें |
शान्ति मंत्र जाप्य विधि जहाँ 1 है वहां णमो अरिहन्ताणं, जहाँ 2 है वहां णमो सिद्धाणं, जहां 3 है वहां णमो आइरियाणं, जहाँ 4 है वहां णमो उवज्झायाणं, जहां 5 है वहां णमो लोए सव्व साहूणं पढ़ना चाहिए |
प्रतिदिन कम से कम 21 बार जाप्य अवश्य कर लेना चाहिए | यह जाप्य परम मांगलिक और शान्ति का देने वाला है | |
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